साधु-संतों एवं साधकों द्वारा विरचित भजन
संकलन-कर्त्ता एवं प्रकाशक
स्वामी स्वरूपानन्द
मो0-7781900388/8603468101
Email ID: swamiswarupanand9378@gmail.com
Website : www.santmehi.com
क्रम
| पद्य संख्या | पद्य | संत क्रम | संत |
---|---|---|---|---|
1 | 1 | सुकिरत करिले नाम | 1 | संत कबीर साहब |
2 | 2 | अखण्ड साहिब का नाम | 1 | संत कबीर साहब |
3 | 3 | हमारे मन कब भजिहो | 1 | संत कबीर साहब |
4 | 4 | फुल एक फुललै बलमा | 1 | संत कबीर साहब |
5 | 5 | यह मन है बड़ जालिम | 1 | संत कबीर साहब |
6 | 6 | अबधू माया तजि न जाई | 1 | संत कबीर साहब |
7 | 7 | ब्याह जे मोर कराय दे हो | 1 | संत कबीर साहब |
8 | 8 | करो जतन सखी साईं | 1 | संत कबीर साहब |
9 | 9 | मिलना कठिन है | 1 | संत कबीर साहब |
10 | 10 | मन न रंगाये जोगी कपड़ा | 1 | संत कबीर साहब |
11 | 11 | पाँच सखि मिलि एकमत | 1 | संत कबीर साहब |
12 | 12 | अबधू भूले को घर लावै | 1 | संत कबीर साहब |
13 | 13 | इश्क बिना नहीं मिलिहैं | 1 | संत कबीर साहब |
14 | 14 | टीम टाम बाहर बहुतेरे | 1 | संत कबीर साहब |
15 | 15 | ठग बहुतेरे भेष बनावें | 1 | संत कबीर साहब |
16 | 16 | मानत नहिं मन मोरा साधो | 1 | संत कबीर साहब |
17 | 1 | नरहरि मति अति चंचल मेरी | 2 | संत रैदास |
18 | 2 | भगती ऐसी सुनहु रे भाई | 2 | संत रैदास |
19 | 1 | निशिवासर वस्तु विचारु | 3 | संत केशो दास |
20 | 1 | ज्ञान गुदड़ी | 4 | धनी धर्मदास |
21 | 2 | दिन दस नैहरवा खेलि ले | 4 | धनी धर्मदास |
22 | 3 | जब हम छेलिये माता के | 4 | धनी धर्मदास |
23 | 1 | गुरु बिन तेरो कोई न | 5 | गुरु नानक साहब |
24 | 2 | रे मन यह सांची जिय धार | 5 | गुरु नानक साहब |
25 | 3 | उघरा वह द्वारा | 5 | गुरु नानक साहब |
26 | 4 | साधो यह मन गह्यो न जाई | 5 | गुरु नानक साहब |
27 | 1 | वैराग्य संदीपनी | 6 | गोस्वामी तुलसीदास |
28 | 1 | जा दिन संत पहुने आवत | 7 | भक्त प्रवर सूरदास |
29 | 1 | सतगुरु भव सागर डर भारी | 8 | संत चरनदास |
30 | 1 | हमारे गुरु पूरण दातार | 9 | परम भक्तिन सहजोबाई |
31 | 2 | भया जी हरि रस पी मतवारा | 10 | संत दरिया साहब (बिहारी) |
32 | 3 | मैं गिरिधर के रंग राची | 11 | परम भक्तिन मीरा बाई |
33 | 4 | हे री मैं तो प्रेम दीवानी | 11 | परम भक्तिन मीरा बाई |
34 | 5 | ऊँची अटरिया लाल किवडिया | 11 | परम भक्तिन मीरा बाई |
35 | 1 | दरिया दरवारा, खुल गया | 12 | संत दरिया साहब (बिहारी) |
36 | 2 | अबकी बार बकसु मोर साहब | 12 | संत दरिया साहब (बिहारी) |
37 | 3 | साधो सुनि लीजै साहु | 12 | संत दरिया साहब (बिहारी) |
38 | 1 | ज्ञान रूप को भयो प्रकाश | 13 | परम भक्तिन दया बाई |
39 | 2 | सकल ठौर में रहत है | 13 | परम भक्तिन दया बाई |
40 | 1 | दिन दिन प्रीति अधिक | 14 | संत यारी साहब |
41 | 2 | झिलमिल झिलमिल बरसै नूरा | 14 | संत यारी साहब |
42 | 1 | जाके लगी अनहद तान हो | 15 | भक्त जगजीवन साहब |
43 | 1 | इंगला पिंगला सोधि सुखमन | 16 | संत पलटू साहब |
44 | 2 | छोड़ कथनी कँ ह | 16 | संत पलटू साहब |
45 | 1 | इधर से उधर तू | 16 | पलटू दास |
46 | 2 | इलम पढ़़ा और अमल नहीं | 16 | पलटू दास |
47 | 3 | जाय संत संवा में लगि रहे | 16 | पलटू दास |
48 | 4 | होई राजपूत सो चढ़े मैदान | 16 | पलटू दास |
49 | 5 | त्रिकुटी घाट को | 16 | पलटू दास |
50 | 6 | इक कूप गगन | 16 | पलटू दास |
51 | 7 | द्वादस अंगुल बैठे चले | 16 | पलटू दास |
52 | 8 | गाय बजाय के काल | 16 | पलटू दास |
53 | 9 | धन जननी जिन जाया | 16 | पलटू दास |
54 | 10 | देह और गेह परिवार को | 16 | पलटू दास |
55 | 11 | धुबिया फिर मर जायगा | 16 | पलटू दास |
56 | 12 | कफन को बाँधि के | 16 | पलटू दास |
57 | 13 | मन मारे मरता नहीं | 16 | पलटू दास |
58 | 14 | सात पूरी हम देखिया | 16 | पलटू दास |
59 | 15 | कहत फिरत हम जोगी | 16 | पलटू दास |
60 | 16 | भाग रे भाग फक्कीर के | 16 | पलटू दास |
61 | 17 | हाथी घोड़ा खाक है | 16 | पलटू दास |
62 | 18 | धुआँ का धोरेहरा | 16 | पलटू दास |
63 | 19 | अब से खबरदार रहो भाई | 16 | पलटू दास |
64 | 20 | आरति कीजै संत चरण | 16 | पलटू दास |
65 | 21 | पड़ा रह संत के द्वारे | 16 | पलटू दास |
66 | 1 | जो कोई भक्ति किया | 17 | संत दूलन दास |
67 | 1 | सांझ सुबह एकौ नहि जान | 18 | संत बुल्ला साहब |
68 | 2 | श्याम घटा घन घेरि | 18 | संत बुल्ला साहब |
69 | 3 | सुखमन शीतल सेज हेत | 18 | संत बुल्ला साहब |
70 | 4 | सामहि उगवै सूर | 18 | संत बुल्ला साहब |
71 | 5 | झूठा यह संसार | 18 | संत बुल्ला साहब |
72 | 6 | ऐसी बनिज हमारी | 18 | संत बुल्ला साहब |
73 | 7 | क्या भयो ध्यान के किये | 18 | संत बुल्ला साहब |
74 | 8 | सन्मुख धरे ध्यान तो | 18 | संत बुल्ला साहब |
75 | 1 | जीते है जु काम क्रोध | 19 | संत सुन्दर दास |
76 | 2 | बार बार कह्यो | 19 | संत सुन्दर दास |
77 | 3 | जो पर ब्रह्म मिल्यो कोउ | 19 | संत सुन्दर दास |
78 | 4 | कोउक निंदक कोऊक | 19 | संत सुन्दर दास |
79 | 5 | परिहै बिजुरि ता के | 19 | संत सुन्दर दास |
80 | 6 | बोलत चालत बैठत ऊठत | 19 | संत सुन्दर दास |
81 | 7 | संत सदा उपदेस बतावत | 19 | संत सुन्दर दास |
82 | 8 | तू कछु और विचारत है | 19 | संत सुन्दर दास |
83 | 9 | जो उपजै बिनसै | 19 | संत सुन्दर दास |
84 | 10 | सोवत सोवत सोइ गयो | 19 | संत सुन्दर दास |
85 | 11 | मारे काम क्रोध सब | 19 | संत सुन्दर दास |
86 | 1 | प्रथम देव गुरुदेव जगत में | 20 | परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई |
87 | 2 | रे मन मूरख जाग सवेरे | 20 | परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई |
88 | 3 | विषय वासना छुटत न | 20 | परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई |
89 | 4 | रे नादाने मनुआँ करि | 20 | परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई |
90 | 5 | गुरु सुमिरन उठि करो सबेरे | 20 | परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई |
91 | 6 | राम कहत रहु राम कहत | 20 | परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई |
92 | 7 | मन तू कौन मंत्र सिखि | 20 | परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई |
93 | 1 | राम कहु राम कहु | 21 | भक्त जगन्नाथ दास |
94 | 2 | पलटू ऐसे दास जो | 16 | पलटू दास |
95 | 3 | हमरे वृन्दावन उर और | 22 | संत भगवत रसिक |
96 | 4 | इतने गुण जामे सो संत | 22 | संत भगवत रसिक |
97 | 1 | चीखि चीखि चसकन सों | 23 | स्वामी देवतीर्थ (काष्ठ जिह्वा स्वामी) |
98 | 1 | संत मता है सार और | 24 | संत तुलसी साहब |
99 | 2 | शास्तर वेद पुराण | 24 | संत तुलसी साहब |
100 | 3 | जम है बड़ा कराल चाल | 24 | संत तुलसी साहब |
101 | 4 | संत सरण जो पड़ा ताहि | 24 | संत तुलसी साहब |
102 | 5 | फूले फूले फिरे देख | 24 | संत तुलसी साहब |
103 | 6 | तेल फुलेल करे रस केल | 24 | संत तुलसी साहब |
104 | 7 | साध संत से उपाध रहत | 24 | संत तुलसी साहब |
105 | 8 | प्रीतम प्रीत पिरानी | 24 | संत तुलसी साहब |
106 | 9 | गति को लख वावे संत की | 24 | संत तुलसी साहब |
107 | 1 | बंधे तुम गाढ़े बंधन | 25 | संत राधा स्वामी साहब |
108 | 2 | तुम साध कहावत कैसे | 25 | संत राधा स्वामी साहब |
109 | 1 | दादू देख दीदा, सब कोई | 26 | संत दादू दयाल |
110 | 2 | मेरे तुम ही राखनहार | 26 | संत दादू दयाल |
111 | 3 | तू स्वामी मैं सेवक | 26 | संत दादू दयाल |
112 | 1 | अबतो अजपा जपु मन मेरे | 27 | संत मलूक दास |
113 | 2 | माया के गुलाम गीदी | 27 | संत मलूक दास |
114 | 1 | नमस्कार स्वामी प्रभो | 28 | महात्मा धीरजलाल गुप्त |
115 | 1 | नाभा नभ खेल, कंवल | 29 | संत नाभाजी |
116 | 1 | अखण्ड मण्ढलाकारे | 30 | योगाचार्य पं0 पंचानन्द भट्टाचार्य |
117 | 1 | सतगुरु दरस देन हित | 31 | महर्षि मेँहीँ परमहंसजी |
118 | 2 | जौ निज घट रस चाहो | 31 | महर्षि मेँहीँ परमहंसजी |
119 | 3 | गुरु मम सुरत को गगन | 31 | महर्षि मेँहीँ परमहंसजी |
120 | 1 | करो सत्संग नित भाई | 32 | महर्षि संतसेवी परमहंसजी |
121 | 2 | सर्वेश को भज ले सुजन | 32 | महर्षि संतसेवी परमहंसजी |
122 | 1 | सत्संग बिना सोचो मानव | 33 | महर्षि साही स्वामीजी |
123 | 1 | सतगुरु चूक सम्हारो मोरी | 34 | महर्षि हरिनन्दन परमहंसजी |
124 | 1 | चलु चलु मन मोरे | 35 | महर्षि विष्णुकान्तजी महाराज |
125 | 1 | स्वागत संत सुजान आपका | 36 | अज्ञात कवि (स्वागत गान) |
126 | 1 | गुरुवर हमारे विदा हो रहे है | 37 | महात्मा छोटेलाल |
127 | 1 | जग अनित्य यह जान | 38 | सेवक स्वरूपानन्द |
128 | 2 | जय जय गुरुदेव, जय | 38 | सेवक स्वरूपानन्द |
129 | 3 | अरे मन रैया, छोड़ दे | 38 | सेवक स्वरूपानन्द |
130 | 4 | टेर सुनो गुरुदेव हमारे | 38 | सेवक स्वरूपानन्द |
131 | 5 | क्यों मन मस्त हुआ दीवाना | 38 | सेवक स्वरूपानन्द |
132 | 1 | संतमत के कुछ साधु-महात्माओं का संक्षिप्त विवरण | ------ | ------ |
साध शब्द सो मिलि रहे, मन राखे विलमाय।
साध शब्द बिन क्यों रहे, त्यों ही बीखरि जाय।।
इस संतवाणी के अनुसार शब्द के द्वारा ही मन ठहराया जा सकता है। इसके अभाव में मन का बिखराव होता ही है। अतएव साधक सद्ज्ञान के सागर संतवाणी में मन को सराबोर कर ठहराये रहते हैं। पूज्य ब्रह्मलीन बजरंगी (गुरुजी) बाबा की कॉपी में “ वैराग्य संदीपनी” रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास के संतों के स्वभाव का वर्णन के कुछ दोहे मुझे मिले थे। ये मुझे बहुत पसंद आये थे। इसी तरह कबीर पंथ की धनी धर्मदासजी की “ ज्ञान गुदड़ी”, संत पलटू साहब, संत तुलसी साहब, संत राधा स्वामीजी के सुन्दर भजन मुझे भाये। ये रहनी, वैराग्य, साधन, विनय, आदर्श से संबन्धित हैं। संतमत की दैनिक स्तुति-प्रार्थना आदि को मिलाकर एक छोटा संकलन यह प्रस्तुत है। इन संत-वचनों का अनुशीलन कर हम सभी अवश्य ही लाभान्वित होंगे। इसी विश्वास के साथ।
जय गुरु
स्वरूपानन्द
संतमत के वर्त्तमान आचार्य, आदर्श पुरुष पूज्यपाद महर्षि हरिनंदनजी परमहंसजी महाराज का शुभ आशीर्वाद
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